Tuesday, May 24, 2011

जलन

ऐसी तेज धूप में
इतना कोहरा कौनसा है
निखरते ऑंखोंके सामने
धूँधलापन ये कैसा है

शायद कोई जलन है
जो ना जलती है
ना ही बुझती है
धुँवा बिखरती है

जल जाती तो अच्छा होता
जलकर राँख होती थी
बात खत्म होती थी
नजर खुल जाती थी

ना जलती अच्छाही होता
ऐसी जलती धूप में
कुछ तो ना जलता
कुछ तो ना जलता

Chaos (calamity ?) Of Govt’s Making and What Now? ————————————————————————— Whether PM delayed the lockdown for politics in MP or not ...