Sunday, July 18, 2010

पुकार

उसने मुझे बुलाया, लेकिन मै नही गया
दुसरी बार बुलाया, लेकिन मै गया नही
तिसरी बार बुलाया, तब भी मै गया नही
बीसवी, सौवी बार बुलाया, फ़िर भी मै गया नही
वो बुलाती रही, मै न जाता रहा

बुलाते बुलाते, आस्ते आस्ते
सागर कुछ ऊड सा गया
बादल सा आसमा में समा गया

न जाते इन्कारते धीरे धीरे
बहता पानी रुक सा गया
पत्थरसा जमी में बुझ सा गया

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